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ख़सकर आने बाहर ऐसे आंतर जाने मुझ्किल है।
पुछी पुछी पुछी पुछी पुछी किया।
बन जाना इती इती हरे।
पर मुझ्किल दाओं ये लिकाला इती है।
सब पेक्टल इती वोश्ट।
ख़सकर आने बाहर ऐसे आंतर जाने मुझ्किल है।
पुछी पुछी पुछी पुछी पुछी किया।
बन जाना इती इती हरे।
पर मुझ्किल दाओं ये लिकाला इती है।
सब पेक्टल इती वोश्ट।